श्री क्षत्रिय युवक संघ SHRIKYS APP
उपदेशक रूप में श्री क्षत्रिय कर्मचारी संघ की स्थापना 1944 में हुई। पूज्य तनसिंह जी द्वारा राजपूत परिवार में रहते हुए अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इसकी स्थापना की गई थी। उस समय तनसिंह जी की उम्र 20 वर्ष थी। इस संस्था के प्रारंभिक कार्यक्रम अन्य सोसाइटी के विभिन्न सम्मेलन, स्ताप्स, प्रस्ताव आदि तक सीमित रहे। संस्था की प्रथम स्थापना 05-06 मई, 1945 को जोधपुर (राजस्थान) में हुई तथा दूसरी स्थापना राजस्थान के झुझुन जिले के कालीपहाड़ी गाँव में 11-12 मई, 1946 को हुई। बुरा तनसिंह जी ने जिस उद्देश्य से श्री क्षत्रिय विद्यार्थी संघ की स्थापना की थी, इस प्रकार की वैधता और सीमित प्रणाली से संभव नहीं था, अन्यथा वे इससे संबंधित नहीं थे। इसी बीच कानून की पढ़ाई के लिए तनसिंह जी नागपुर चले गए। इस दौरान कई अन्य शिष्यों के संपर्क में अपने उद्देश्य के लिए पूज्य श्री का अवतरण हो रहा था। अपने अनुभव एवं शिक्षण से उन्होंने श्री क्षत्रिय विद्यार्थी संघ के लिए एक 'सामुहिक संस्कारमयी मनोवैज्ञानिक कर्मप्रणाली' की आदर्श तैयारी की। 21 दिसंबर 1946 को वे जयपुर के स्टेशन रोड स्थित मालसी हाउस में संघ की 3000 से अधिक प्रतिभागियों की बैठक में शामिल हुए और श्री क्षत्रिय युवा संघ के लिए एक नवीन प्रणाली का प्रस्ताव रखा। तनसिंह जी ने अपने सहयोगियों को अपने-अपने अनुरूप, उद्देश्य और प्रस्तावित प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। सभी की ओर से वर्तमान में दी गई सहमति अगले ही दिन यानी 22 दिसंबर, 1946 के शुभ दिन श्री क्षत्रिय छात्र संघ की अपने स्वरूप में स्थापना हुई। जयपुर में 25-31 दिसंबर को ही श्री क्षत्रिय विद्यार्थी संघ का पहला शिविर का आयोजन हुआ था। शिविर में अनुशासन के स्तर और शिक्षण की गरिमा को देखते हुए तनसिंह जी और अन्य साथियों को इस प्रणाली में पूर्ण विश्वास हो गया और उसी समय श्री क्षत्रिय युवा संघ निरंतर अपने 'सामुहिक संस्कारमयी कर्मप्रणाली' के माध्यम से समाज में कार्य कर रहा है।